Kya hai Karwa Chauth Pooja Ke Niyam, Vidhi, Shubh Muhurata क्या है करवा चौथ पूजा के नियम, विधि, शुभ मुहूर्त: करवा चौथ 2020 ?
नमस्कार दोस्तों, कैसे हैं आप सब?

चौथ का व्रत वैसे तो पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है लेकिन खासकर यह व्रत उत्तर भारत में दिल्ली, पंजाब, राजस्थान, हरियाणा, मध्यप्रदेश में मनाया जाता है। इन राज्यों में इसका नजारा कुछ अलग ही होता है। जहां दिनभर कथाओं का दौर चलता है वही शाम होने पर महिलाओं की नजरें आसमान की ओर चंद्रमा को निहारने में लग जाती हैं। करवा चौथ का व्रत सुबह 4:00 बजे से शुरू होकर रात्रि चंद्रोदय के साथ समाप्त होता है। इस दिन माता पार्वती, शिव जी और गणेश की पूजा की जाती है ऐसा माना जाता है कि विवाह प्रांत 12 या 16 सालों तक लगातार रखा जाता है लेकिन विवाहित जीवन भर इस व्रत को कर सकती है.
करवा चौथ का व्रत इस बार 4 नवंबर को मनाया जा रहा है। और मुझे अच्छे से पता है कि आप सब ने अभी से ही करवा चौथ की तैयारियां शुरू कर दी होंगी। करवा चौथ का व्रत भारतीय महिलाओं के लिए बहुत ज्यादा महत्व रखता है। इस दिन सुहागन अपने पति की लंबी आयु के लिए यह व्रत रखी है। और कुंवारी कन्या सुयोग्य वर पाने की इच्छा को मन में रख कर इस व्रत को धारण करती हैं।
करवा चौथ सभी सुहागिनों के लिए बहुत ज्यादा खास होता है क्योकि हम सभी महिलाये इस दिन निर्जला उपवास करके करवा माता से यह प्रार्थना करती हैं की करवा माता उनके पति को दीर्घायु करे और उनको सभी परेशानियों तथा रोग से मुक्त रखें। पूरा दिन निर्जला व्रत करके रात्रि में चंद्रमा निकलने के बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर पति के हाथों से पानी पीने के बाद अपना व्रत का पारण करती हैं। लेकिन करवा चौथ के व्रत और पूजन के अलावा भी कुछ छोटी-छोटी लेकिन बहुत महत्वपूर्ण बातें हैं जिनका हमें ध्यान रखना जरूरी है ताकि हमें करवा चौथ का पूर्ण फल प्राप्त हो सके।
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क्या है करवा चौथ पूजा के नियम ? Karwa Chauth Pooja Ke Niyam
करवा चौथ का व्रत सुहागन स्त्री बहुत ही मन और लगन के साथ मनाते हैं। करवा चौथ प्रतिवर्ष कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को मनाया जाता है और इस बार सन 2020 में करवा चौथ 4 नवंबर को है। हर व्रत की तरह इस व्रत के भी कुछ विशेष नियम है तो आइए जान लेते हैं इनके बारे में।
- करवा चौथ का व्रत सूर्योदय से लेकर चंद्र उदय तक रखा जाता है। भारत में कुछ इलाकों में करवा चौथ पर सरगी खाने का भी रिवाज़ होता है लेकिन यह ध्यान रखें कि आप सरगी सूर्य उदय से पहले खा ले।
- करवा चौथ के दिन सुहाग महिलाएं तथा कुँवरिन कन्याये जो भी इस व्रत को करना चाहती हैं वह पीले या लाल रंग के व्रत धारण करें और अपने हाथों में हरे रंग की चूड़ियां अवश्य डालें। काले और सफेद रंग के वस्त्र धारण करना सही नहीं माना जाता।
- करवा चौथ का व्रत पूरे दिन बिना पानी पिए किया जाता है लेकिन अगर आपको स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या है तो आप कथा सुनने के बाद पानी का सेवन कर सकते हैं।
- चूंकि यह व्रत पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, इसलिए यह जरूरी है कि आप उस दिन पूर्ण श्रृंगार अवश्य करें।
- और मेरी व्यक्तिगत सलाह है कि अपने होठों पर लिपस्टिक लगाने से बचें क्योंकि लिपस्टिक में ऐसे रसायन होते हैं जो होंठों पर लगाने पर हमारे मुंह में चले जाते हैं। इसके बजाय, आप अपने होंठों को रंगने के लिए चुकंदर का रस या गुलाब की पत्तियों का रस लगा सकते हैं।
- करवा चौथ की कहानी सुनते हुए साबुत अनाज या मीठा अपने साथ रखने और कहानी सुनने के पश्चात बहुएं अपने साथ या अपने बड़ों के पैर छुए तथा उन्हें बायना जरूर दें
- चंद्रमा निकलने के बाद उसे जल से अर्घ्य दें। तथा चंद्रमा को छलनी में देखने के पश्चात अपने पति का मुख भी छलनी के साथ देखें तथा अपने पति के हाथों से जल अवश्य पिए। जल पीने के पश्चात अपने पति का आशीर्वाद लेना ना भूलें। थापति पत्नी दोनों मिलकर करवा माता के साथ क्षमा याचना अवश्य कर लें ऐसा माना जाता है कि करवा माता के साथ क्षमा याचना मांगने से वह अत्यंत प्रसन्न होती हैं।
- करवा चौथ का व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। लेकिन इसके साथ साथ बुजुर्गों का आशीर्वाद भी लेना बहुत जरूरी है इसीलिए इस दिन अपने सास और ससुर का भूल कर भी अपमान ना करें तथा उनकी दिल से बहुत इज्जत करें। अगर आप अपने बड़ो का सम्मान नहीं करेंगे तो यह व्रत पूर्ण नहीं होगा।
- करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा की जाती है इसीलिए करवा चौथ के दिन किसी को भी सफ़ेद चीजें जैसे चावल दूध दही सफेद कपड़ा ना दे। ऐसा माना जाता है कि सफ़ेद चीजों को देने से चंद्रमा नाराज हो जाते हैं जिससे अशुभ फल की प्राप्ति होने की आशंका होती है।
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करवा चौथ की विधि और सामग्री

करवा चौथ का शुभ मुहूर्त २०२०
- इस वर्ष करवा चौथ 4 नवंबर, 2020 को होगा।
- करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 05:29 से शाम 06:48 तक
- चंद्रोदय- रात्रि 08:16
- चतुर्थी तिथि आरंभ- सुबह 03:24 (4 नवंबर)
- चतुर्थी तिथि समाप्त- सुबह 05:14 (5 नवंबर)
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