एंटीमाईक्रोबिअल रेजिस्टेंस (Antimicrobial resistance) : एंटीबायोटिक्स या सैनिटाइज़र की अधिकता नुकसानदायक

एंटीमाईक्रोबिअल रेजिस्टेंस (Antimicrobial resistance) : एंटीबायोटिक्स या सैनिटाइज़र की अधिकता नुकसानदायक -Disinfectant अर्थात कीटाणुनाशक को बीमारियों से बचने और लड़ने में सहायक माना जाता है। और यह बात कोविड -19 महामारी के बाद से और अधिक स्पष्ट हो गई है साथ ही कीटाणुनाशकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल भी किया जा है।
कोविड-19 के फैलने के बाद से ही कीटनाशकों का बाजारीकरण भी बहुत ज्यादा हो गया है। आजकल हर एक इस्तेमाल की जाने वाली वस्तु में डिसइनफेक्टेंट या कीटनाशकों की मौजूदगी होती है चाहे वह हमारे फेस वाइप्स हो, हैंड वॉश, हैंड सैनिटाइजर हो, रूम क्लीनर हो, कार क्लीनर हो, सभी चीजों में आजकल कीटनाशकों का धड़ल्ले से इस्तेमाल किया जाता है। जोकि एक तरह से सही भी है अगर हमें covid -19 से बचना है तो डिसइनफेक्टेंट का इस्तेमाल करना जरूरी है। लेकिन यहां एक सवाल उत्पन्न होता है कि डिसइनफेक्टेंट का अधिक इस्तेमाल क्या हमारे लिए वाकई में फायदेमंद है या इसका कोई नुकसान भी है ?
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लेकिन अब एक अध्ययन में पाया गया है कि आमतौर पर फेस वाइप्स, आई और ईयर ड्रॉप्स और हैंड सैनिटाइज़र में इस्तेमाल होने वाले कीटाणुनाशक एंटीबायोटिक दवाओं को काम करने से रोकने और यहां तक कि एंटीबायोटिक प्रतिरोध या रोगाणुरोधी प्रतिरोध को बढ़ावा देने में दोहरे एजेंट के रूप में कार्य कर सकते हैं। (Source).
इसके अलावा, ऑस्ट्रेलिया में मैक्वेरी विश्वविद्यालय की एक टीम ने ESKAPE रोगजनकों और एमिनोग्लाइकोसाइड एंटीबायोटिक दवाओं पर कीटाणुनाशक बेंजालकोनियम क्लोराइड (बीएसी) के प्रभावों का परीक्षण किया।
Antimicrobial Resistance एंटीमाईक्रोबिअल रेजिस्टेंस क्या है और क्यों होता है ?
एएमआर (Antibiotic / Antimicrobial Resistance (AR / AMR)) तब होता है जब बैक्टीरिया, वायरस, कवक और परजीवी समय के साथ बदलते हैं और अब दवाओं का जवाब नहीं देते हैं जिससे संक्रमण का इलाज करना मुश्किल हो जाता है। यह स्तिथि कीटाणुनाशकों की अधिकता से उत्पन्न होती है। जिस से और बीमारी फैलने, गंभीर बीमारी और मृत्यु का खतरा बढ़ जाता है। नतीजतन, दवाएं अप्रभावी हो जाती हैं और शरीर में संक्रमण बना रहता है, जिससे दूसरों में फैलने का खतरा बढ़ जाता है।
इसके अलावा, केरल के स्वास्थ्य मंत्री ने सोमवार को यह भी कहा इस वायरल युग में नई समस्या Antimicrobial Resistance की पैदा गई है। इससे बचाव में उन्होंने केरला में एक एंटी-माइक्रोबियल प्रतिरोध अभियान शुरू किया है, जिसका लक्ष्य 2023 तक पूरी तरह से एएमआर-साक्षर राज्य होना है।

एएमआर (Antimicrobial resistance) कैसे होता है?
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सूक्ष्मजीव जैसे बैक्टीरिया और वायरस, अधिकांश मनुष्यों के लिए सहायक होते हैं, लेकिन कुछ बैक्टीरिया और वायरस ऐसे भी है जो संक्रमण और बीमारी का कारण बन सकते हैं। इन संक्रमणों के इलाज के लिए उपयोग की जाने वाली दवाओं को रोगाणुरोधी या एंटीबायोटिक /एंटीवायरल कहा जाता है। जो बैक्टीरिया के विकास को मारते हैं या रोकते हैं।
हालांकि, कुछ गलत तरीकों से या एंटीबायोटिक /एंटीवायरल दवाओं के अधिकता से ये प्रतिरोधी बन जाते हैं। जिसके निम्न कारण है :-
- डॉक्टर द्वारा अधिक मात्रा में एंटीबायोटिक या एंटीवायरल दवाइयों का prescribe किया जाना
- बिना डॉक्टर की सलाह से एंटीबायोटिक / एंटीवायरल दवाइयों का लेना।
- बीमारी शुरू होने की ही शुरुआत में पहले दिन एंटीबायोटिक दवाइयों का ले लेना।
- बाजारों में मौजूद एंटीबैक्टीरियल फेस वाइब्स, आई ड्रॉप, ईयर ड्रॉप का अधिक इस्तेमाल करना।
- हैंड सैनिटाइजर का अधिकतम उपयोग करना।
- घर की साफ सफाई अपने आसपास सभी तरह के डिसइंफेक्टेंट का अधिकता से उपयोग करना।
एएमआर / एंटीमाईक्रोबिअल रेजिस्टेंस (Antimicrobial resistance) के जोखिम को रोकने के लिए क्या किया जा सकता है?
- डॉ अनुज शर्मा के अनुसार सुरक्षित जीवन के लिए आम जनता को ‘3Ws और 2Vs’ का पालन करना चाहिए। “मास्क पहनें, दूरी देखें और साबुन से हाथ धोएं (“Wear a mask, watch distance and wash hands,) और 2V (vaccination and ventilation) टीकाकरण और वेंटिलेशन का पालन करना। (Source: Indian Express)
- रोगाणुरोधी प्रबंधन और स्व-दवा यानि बिना डॉक्टर सलाह से दवाई लेने से बचना एएमआर को रोकने के लिए पहला कदम है।
- लोगों को केवल एक डॉक्टर द्वारा निर्धारित एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करना चाहिए.
- जरूरत हो तभी डिसइनफेक्टेंट फेस वाइफ या आई ड्रॉप का इस्तेमाल करें अन्यथा इन सभी के इस्तेमाल से हमको बचना चाहिए।
- अगर आप बाहर हैं तभी हैंड सैनिटाइजर का यूज करें अगर आप घर में है तो अपने हाथ साबुन से ही धोए हैं हैंड सैनिटाइजर का भी उपयोग कम से कम करें।
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