चमत्कारी विदारीकंद (Vidarikand): जानिए विदारीकन्द के फायदे, उपयोग विधि और औषधीय गुण

विदारीकन्द के फायदे
विदारीकन्द के फायदे

चमत्कारी विदारीकंद (Vidarikand): जानिए विदारीकन्द के फायदे, उपयोग विधि और औषधीय गुण : शरीर का वजन बढ़ाये और मांसपेशियों को मजबूत बनाये ‘ विदारीकन्द ‘ जानिए क्या है विदारीकंद।

विदारीकंद, विलाईकन्द, पाताल कोहड़ा, संस्कृत में क्षीरकन्द, स्वादुकन्दा, क्रोष्ट्री, क्षीरशुक्ला, क्षीरविदारी, ऋक्षगन्धिका, अंग्रेजी में Indian Kudzu (इंडियन कुडजु) आदि विभिन नामो से भी पुकारा जाता है। आगे इस लेख मे हम बात करेंगे विदारीकन्द के गुण,तासीर एवं उपयोग के बारे में विस्तारपूर्वक, लेख के साथ अंत तक बने रहे। यह अपने वनस्पति नाम पुरेरिया ट्यूबरोजा (Pueraria Tuberosa) से जाना जानेवाला यह कन्द या फल बेहद ही गुणकारी है।

क्या है विदारीकन्द ?

आयुर्वेदिक गुणों से भरपूर यह एक लता धारी पौधा है। इसकी जड़ में एक कन्द और लताओं में फल लगता है यह अक्सर पहाड़ी इलाको और उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में पाया जाता है। विदारीकन्द पौधे की जड़ में मौजुद कंद को सुखाकर औषधी रूप में उपयोग किया जाता है इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में इसकी सब्जी भी बनाकर खाई जाती है।

विदारीकन्द के गुण, तासीर एवं प्रभाव

यह गुण में शीतल,ठंडी, मधुर होती है। इसके अतिरिक्त यह शुक्रवर्धक (Euphoric), बलकारक (Potent) एवं मांसपेशियों को बढ़ाने में भी सहायक है।

विदारीकंद (Vidarikand) : विदारीकन्द के फायदे, उपयोग विधि और औषधीय गुण
विदारीकंद (Vidarikand) : विदारीकन्द के फायदे, उपयोग विधि और औषधीय गुण

विदारीकन्द के फायदे, मात्रा एवं उपयोग विधि

इसको विभिन समस्याओं व इलाज में अलग-अलग वस्तुओं के साथ मिलाकर उचित मात्रा अनुसार सेवन किया जाता है। जिनमे से कुछ के बारे आपको हम बता रहे है।

  • भस्मक रोग (over eating) – यह रोग होने पर रोगी जितना भी खाना खा ले उसे ऐसा लगता है कि उसने अभी तो कुछ भी नहीं खाया है और वह बहुत अधिक खाने लगता है।
विदारीकन्द चूर्ण
विदारीकन्द चूर्ण

उपचार- 250ml दूध में 10ml विदारीकन्द जूस मिलाकर उबलने के बाद थोड़ा ठंडा कर पीने से लाभ मिलता है।

10ml विदारीकन्द जूस में 10 ग्राम शुद्ध देसी घी मिलाकर पीने से आराम मिलता है।

  • शूल रोग – 5-10ml विदारी कन्दस्वरस मिलाकर पीने से अथवा त्रायमाण व द्राक्षा क्वाथ में (10-20 मिली) में कुछ मात्रा विदारीकन्द चूर्ण मिलाकर पीने से पित्तज शूल का शमन होता है।
  • मासिक विकार- स्त्रियों में मासिकधर्म के अंतर्गत आने वाले अधिक रक्तस्राव को कम करने हेतु विदारीकन्द के चूर्ण को घी और शर्करा(Powder Sugar) मिलाकर चाटने से काफी हद समस्या का शमन होता है।
  • अम्लपित्त- अम्लपित यानी पेट मे बढ़ता एसिड(Acid) का स्तर, विदारीकन्द स्वरस को (5ग्राम) को दो चम्मच शहद के साथ सेवन करने से लाभ मिलता है।
  • पुरुषत्व दुर्बलता में- 3 ग्राम विदारीकन्द के चूर्ण को 10 मिली विदारी स्वरस में ही मिलाकर उसमे 5 ग्राम घी और 10 ग्राम मधु (honey) मिलाकर लेने से पुरूष दुर्बलता का शमन होता है और शक्ति बढ़ती है।
  • रक्तशुद्धि – विदारीकन्द का शाक व सब्जी बनाकर खाने से रक्तविकार में लाभ व रक्त शुद्ध होकर चेहरा कांतिवान बनता है।

विदारीकन्द के 3 से 6ग्राम चूर्ण को 10ग्राम घी में मिलाकर उसके बाद 300ml दूध में उबालकर मिश्री मिलाने के बाद उसको गुनगुना पीने से रक्तशोधन होने के साथ-साथ शरीर बलवान बनता है।

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  • कोशिकाओं व मांसपेशीय रोगों में- यदि लंबे समय से शरीर मे कोशिकाओं मांसपेशी कमजोरी से सम्बंधित रोग है तो इसके निदान के लिए अश्वगंधा , सफेद मूसली, और विदारीकन्द तीनों को बराबर मात्रा में पीसकर इसका चूर्ण बना ले, उसके बाद इस चूर्ण को किसी हवाबंद डिब्बे में भरकर रख ले। और रोज सुबह त शाम को किसी भी समय एक चमच चूर्ण को एक ग्लास दूध में मिलाकर खाने से किसी भी प्रकार की कोशिकाओं से सम्बंधित समस्या में लाभ मिलता है।
  • विसर्प (Erysipelas) – यानी के एक प्रकार का बैक्टीरिया इरिसीपैलस एक संक्रमण है जो बैक्टीरिया के कारण होता है जो त्वचा के ऊपरी हिस्से में होता है. यह आम तौर पर स्ट्रेप्टोकोकस प्यूजेंस बैक्टीरिया के कारण होता है। यह आपकी त्वचा पर बड़े और लाल पैचों की दिखाई देता है।

उपचार, शतावरी मूल तथा विदारीकन्द के साथ शतधौत घृत के साथ मिलाकर लेप करने से वातपित्तोलवण विसर्प में लाभ मिलता है।

  • विषम ज्वर- एक समान भाग दूध, तेल, घृत, विदारीकन्द स्वरस तथा इक्षुरस में शहद मिलाकर पीने से किसी भी प्रकार के बुखार में बहुत लाभ मिलता है।

इसके अलावा जिन महिलाओं में दूध की कमी रहती है या उनके शरीर में दूध नहीं बनता है, जिसकी वजह से उनके नवजात शिशु भूखे रहते हैं तो वह भी विदारीकंद के सेवन से अपनी यह समस्या को दूर कर सकते हैं।

तथा जिन लोगों को किडनी की परेशानी है वह भी अपने चिकित्सक के परामर्श से विदारीकंद का चूर्ण के सेवन से अपने किडनी की सभी समस्याओं से निजात पा सकते हैं।

आयुर्वेद के इस गुणकारी आहार  विदारीकन्द का उपयोग करते समय अपने दिनचर्या को सामान्य रखे जिसमे पोष्टिक आहार लेने के साथ-साथ योगा , प्राणायाम और पानी का सेवन उचित मात्रा में करते रहे।

 नोट – औषधी को चिकित्सक के देख रेख में लें।

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