ब्रेन बूस्टर ब्राह्मी: जाने ब्राह्मी के फायदे, 9 गुण, तासीर, सेवन, प्रजाति व पूरी जानकारी

नीर ब्राह्मी मण्डूकपर्णी ब्राह्मी

ब्रेन बूस्टर ब्राह्मी: जाने ब्राह्मी के फायदे, 9 गुण, तासीर, सेवन, प्रजाति व पूरी जानकारी- ब्राह्मी,  जैसा  की इसके नाम से ही प्रतीत होता है, ब्राह्मी-मतलब ब्रह्मा,  ब्रह्मा की शक्‍ति। ब्राह्मी शब्‍द ब्राह्माण या हिंदू देवता ब्रह्मा से लिया गया है। यह भारत की प्राचीनतम जड़ी बूटियों में से एक है। इसे दिमाग और तंत्रिका तंत्र के लिए बहुत महत्वपूर्ण औषधी माना जाता है। ब्राह्मी को मेध्‍यरसायन भी कहा जाता है क्योकि यह नसों के लिए शक्‍तिवर्द्धक के रूप में कार्य करने वाली तथा पुनर्जीवित करने वाले तत्वों से युक्‍त है ।

आज कल के व्यस्त जीवन में लगभग सभी को तनाव से बहुत परेशानी  होती है। और अगर हम ब्राह्मी का सेवन करते है तो तनाव को कम किया जा सकता है। भारतीय पारंपरिक औषधियों में ब्राह्मी का पिछले 3000 वर्षों से इस्‍तेमाल किया जा रहा है। हमारे भारतीय प्राचीन ग्रंथों जैसे चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में इसका उल्‍लेख है, इन ग्रंथो में ब्राह्मी घृत और ब्राह्मी को ऊर्जा प्रदान करने वाली ओषधि बताया गया है।

ब्राह्मी क्या है? नीर ब्राह्मी / मण्डूकापर्णी ब्राह्मी

ब्राह्मी को अंग्रेजी में बकोपा मोननेरी कहते हैं। भारत में इसे “ब्राह्मी” के नाम से जाना जाता है। ब्राह्मी मिट्टी में फैली हुई और एक बारहमासी जड़ी बूटी है। इसे बुद्धि को तेज करने और मानसिक दोषों को दूर करने के लिए जाना जाता है।ब्राह्मी की पत्तिया रसीली होती है क्योकि इसमें अत्‍यधिक पानी को संग्रहित करने की क्षमता होती है। ये जमीन पर फैला होता है और इस पर सफेद, गुलाबी और नीले रंग फूल आते है। ब्राह्मी की इस प्रजाति को नीर ब्राह्मी कहते है।

ब्राह्मी के फायदे
ब्राह्मी के फायदे

इसकी एक और प्रजाति भारत में पाई जाती है जिसको मंडक पर्णी और मण्डूकापर्णी  के नामों से जाना जाता है।मंडक पर्णी के पत्ते छोटे और हृदय के आकार के होते है। हमारे देश में मंडक पर्णी अधिकतर मात्रा में पाया जाता है।

ब्राह्मी के फायदे, गुण, तासीर, सेवन
मण्डूका पर्णी ब्राह्मी /ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी का स्वाद

रसीले पत्तो वाली ब्राह्मी का स्वाद हल्का कड़वा तथा रसीला होता है। और मंडूक पर्णी ब्राह्मी का स्वाद फीका होता है।

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ब्राह्मी की तासीर क्या है ?

ब्राह्मी की तासीर ठंडी (शीत , शीतल ) होती है।  गर्मियों के लिए बहुत अच्छी होती है लेकिन सर्दियों में इसको खाने के साथ काली मिर्च का सेवन करना जरुरी होता है।

ब्राह्मी के गुण / ब्राह्मी के फायदे

  • ब्राह्मी दिमाग को तेज करने में सहायक होती है।
  • ब्राह्मी के सेवन से तनाव काफी हद तक कम हो जाता है।
  • ब्राह्मी  उम्र को बढ़ाता है।
  • ब्राह्मी का सेवन यदि रोज किया जाए तो उससे हमारी याददाश्त की शक्ति बढ़ती है।
  • यह ओषधि पीलिया, खून की खराबी, सफेद दाग को दूर करने में सहायक होती है।  ब्राह्मी को अगर पानी में उबालकर उस से गलारे किए जाएं तो इससे गला साफ होता है।
  • ब्राह्मी बालों के लिए भी बहुत उपयोगी है।
  • ब्राह्मी  हमारे दिल के लिए बहुत लाभदायक है।
  • ब्राह्मी मानसिक पागलपन या कहें कि उन्माद इसको दूर करता है। अगर ब्राह्मी का सही मात्रा में, तथा नियमित इस्तेमाल करें तो इससे बुद्धि बहुत तेज होती है और पागलपन की जो बीमारी होती है वह खत्म हो जाती है।
  • ब्राह्मी आजकल बाजारो  में ब्राह्मी घृत, ब्राह्मी रसायन, ब्राह्मी तेल, ब्राह्मी वटी आदि नामों से मिलती है

रोगों में ब्राह्मी के फायदे

ब्राह्मी का तनाव में उपचार कैसे करें

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  • 5 g  ब्राह्मी
  • 3 g इलायची पाउडर
  • 5 g  शंखपुष्पी
  • 6 g खसखस
  • 6 g बादामगिरी
  • सभी को पीस कर पाउडर बना ले। इसे एक गिलास पानी में डाल कर ठंडाई की तरह पीने से तनाव में बहुत लाभ मिलता है।  इसे गर्मी के मौसम में ही पीना चाहिए।

बेचैनी में ब्राह्मी से उपचार

  • 5 g. ब्राह्मी
  • 2 g कूठ का चूर्ण
  • 10 g शहद
  • इन तीनो को मिलाकर लेने से उदासी व बेचैनी में आराम मिलता है।

ब्राह्मी से तेज याददाश्त कैसे बढ़ाये

  • 5 g ब्राह्मी
  • 11 कालीमिर्च के दाने 
  • दोनों को थोड़े पानी में पीसकर पीने से याददाश्त बढ़ती है ।

ब्राह्मी से दिमाग मजबूत और तेज कैसे करें

१ चम्मच ब्राह्मी का जूस व् एक चम्मच गाय का घी दोनों को एक साथ मिलाकर सुबह खाली पेट लेने से दिमाग दुरुस्त और तेज होता है।

अनिद्रा / नींद न आना में ब्राह्मी से उपचार

ब्राह्मी के 5 g चूर्ण / ब्राह्मी की 8 -10 पत्तियों को मसल कर आधा किलो दूध में अच्छी तरह उबाल ले। इसे ठंडा होने पर पिए। ऐसा करने से नींद न आने की पुरानी समस्या में लाभ होगा।

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ब्राह्मी के नुकसान

किसी भी आयुर्वेदिक या एलोपैथिक दवाई को लंबे समय तक इस्तेमाल करना अच्छा नहीं होता, या कहें कि स्वास्थ्य के लिए हानिकारक भी हो सकता है। लंबे समय तक कोई भी औषधि इस्तेमाल करने पर उसका असर शरीर पर होना बंद हो जाता है।  आयुर्वेदिक औषधि को लगभग 12 हफ्तों से अधिक इसका इस्तेमाल करना सही नहीं है। जब आपको कोई परेशानी हो या किसी बीमारी के लक्षण हो तभी आप कोई भी औषधि इस्तेमाल कीजिए। सबसे जरूरी बात किसी भी औषधि को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर या आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।

  • अगर आप कफ प्रवृति के है तो इसका इस्तेमाल करने से पहले अपने चिकित्सक से परामर्श जरूर करें।
  • दिल की दर (bradycardia) मंदी है तो इसके उपयोग न करें।
  • जिन लोगों को पेट में अल्सर है, उन्हें  इसका सेवन नहीं करना चाहिए।

इसके अलावा ब्रह्मी के कोई नुकसान नहीं है।

यह संपूर्ण जानकारी हमने स्वतः उपयोग करने के बाद ही आपको प्रस्तुत की है। फिर भी हम चाहते हैं कि आयुर्वेदिक या कोई भी दवाई या जड़ी बूटी लेने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें। ज्यादा जानकारी, टिप्स, घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार के लिए प्लीज हमारा इंस्टाग्राम पेज @femslate और हमें फेसबुक https://www.facebook.com/FemSlate पर भी प्लीज फॉलो कीजिए।
धन्यवाद

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