अंजीर-जानिए क्यों कहा जाता है इस फल को सुपरफूड

जानिए क्यों कहा जाता है इस फल को सुपरफूड-अंजीर, अंजीर की प्रकृति एवं तासीर, अंजीर के प्रकार, अंजीर का उपयोग एवं लाभ
आज हम अपने पाठकों के लिए लाये है यह विशेष आर्टिकल हम बात कर रहें है एक ऐसा औषधीय फल/मेवे की, जो दोनो ही रूपो में उपभोग किया जा सकता है। आप में से बहुत से लोगो ने कभी न कभी इसको मेवे के रूप में खाया होगा। जी हां हम बात कर रहे है अंजीर की यह अपने गुणों एवं पोषक तत्वो से भरपूर है की इसे अगर सुपरफूड कहा जाए तो भी कम नही होगा।
अंजीर एक आयुर्वेदिक फल है जिसको लैटिन में Ficus Carica अंग्रेजी में Fig संस्कृत में अंजीरा,मंजुला कन्न्ड़ में अंजुला बंगला में दुमुर कहा जाता है। अंजीर को फल एवम सूखे मेवे (dry fruits)
दोनो ही प्रकार से खाया जाता है। इस फल में भरपूर मात्रा में रोग प्रति रोधक क्षमता (antioxidants) के साथ-साथ बहुत से अन्य गुण पाए जाते है कि अगर इसे सुपरफूड्स कहा जाए तो कोई गलत नही होगा।
अंजीर दक्षिण पश्चिमी एशियाई और भूमध्यसागरीय की मूल झाड़ी नुमा पेड़ है भारत में भी इसकी अधिकतर खेती महाराष्ट्र में की जाती है।
अंजीर की प्रकृति एवं तासीर

विश्व के सबसे पुराने फलों में से एक यह नाशपाती के आकार जैसा दिखने वाला यह फल उतरी भारत और तुर्किस्तान के बीच का भूखण्ड इसकी उतपत्ति का भौगिलिक स्थान माना जाता है। अंजीर की अपनी कोई सुगन्ध नही होती यह रसीला और गुद्देदार होता है। रंग में यह हल्का पीला,सुनहरा व पूर्णतः पकने पर यह गहरा बैंगनी रंग का दिखाई पड़ता है।
इसका स्वाद इस बात पर निर्भर करता है कि इसे किस उपयुक्त स्थान पर उगाया जाता है इसे पूरा छिलके,बीज,गुद्दे सहित पूरा खाया जा सकता है जो अत्यधिक स्वास्थ्य वर्धक होता है। अंजीर की तासीर न ही अत्यधिक गर्म होती है न ही अधिक ठण्डी इसके साथ प्रयोग के लिए मिलाई गई अन्य वस्तुओं (गर्म/ठंडा पानी के साथ) की प्रकृति के अनुसार ही अंजीर की प्रकृति उसी स्वरूप में ढल जाती है।
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भौगोलिक एवं क्षेत्र दृष्टि से अंजीर के प्रकार

सामान्यतः एक ही प्रकार की अंजीर देखने को मिलती है परंतु किसी क्षेत्र या स्थान अथवा वहां के भौगोलिक वातावरण के लिहाज से यह अलग-अलग जगहों में अपने आकार व नाम अनुसार से पाई जाती है।
जैसे भारत की बात करे तो यह मार्सेलिज, ब्लैक,इस्चिया, पूना, बेंगलोर तथा ब्राउन टर्की नाम से प्रसिद्ध है। इसी प्रकार सबसे पुरानी किस्म की केपी अंजीर इसी से अन्य अंजीर की उतपत्ति हुई इसके अलावा सफेद सैनपेदु ,स्माइरना, और साधारण अंजीर शामिल है।
विभिन्न रोगों में अंजीर का उपयोग एवं लाभ
इसमे विटामिन Vitamim A,C,K,B के अलावा पोटैशियम, मैग्नेशियम, जिंक, कॉपर, आयरन, प्रोटीन, कार्बोहाइड्रेट, एंटीऑक्सीडेंट औऱ फाइबर पाया जाता है। जो शरीर को जरुरी पोषकतत्व उपलब्ध कराते है। चलिए बढ़ते है आगे और जानते है रोगों में इसके उपयोग।

- इसमे मौजूद केल्सियम, केल्शियम, पोटैशियम, और मैग्नेशियम हमारी हड्डियों के विकास के लिए बहुत महवपूर्ण है। इसके इस्तेमाल है हमारी हड्डिया मजबूत रहती है।
- नियमित रूप से अंजीर का सेवन करने से ब्लड प्रेशर को नियंत्रित किया जा सकता है। क्योंकि इसमें ओमेगा-3,6 फैटी एसिड भी पाया जाता है। जो ब्लड प्रेशर को स्थिर करने में लाभदायक है।
- यदि पेट की समस्या खासकर कब्ज की शिकायत में अंजीर बहुत फायदेमंद है। इसके नियमित रूप से इस्तेमाल करने पर पुराने से पुराना कब्ज भी दूर हो जाता है। 2 से 3 अंजीर को रात भर पानी में भिगोकर रख ले सुबह इसके पानी के साथ अंजीर का सेवन करने से लाभ होगा।
- अंजीर कोलेस्ट्रॉल को कम करता है इसमें मौजूद सॉल्युबल फाइबर की मौजूदगी अतिरिक्त कोलेस्ट्रॉल को कम करने में अहम भूमिका निभाती है और पाचनतंत्र को साफ करता है।
- शरीर मे यदि आयरन की कमी हो जाती है तो एनीमिया का शिकार हो जाता है जिसे आम बोलचाल की भाषा मे खून की कमी कहते है। सूखा अंजीर आयरन का मुख्य सोर्स है यह हीमोग्लोबिन के स्तर को बढ़ाकर खून की कमी को पूरा करता है।
यह संपूर्ण जानकारी हमने स्वतः उपयोग करने के बाद ही आपको प्रस्तुत की है। फिर भी हम चाहते हैं कि आयुर्वेदिक या कोई भी दवाई या जड़ी बूटी लेने से पहले कृपया अपने चिकित्सक से परामर्श अवश्य कर लें। ज्यादा जानकारी, टिप्स, घरेलू नुस्खे और आयुर्वेदिक उपचार के लिए प्लीज हमारा इंस्टाग्राम पेज @femslate और हमें फेसबुक https://www.facebook.com/FemSlate पर भी प्लीज फॉलो कीजिए।
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